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Monday, December 8, 2025

वंदे मातरम् विवाद: कांग्रेस ने क्यों अपनाए थे सिर्फ 2 अंतरे? जानिये गीत के 'विभाजन' का पूरा इतिहास

 

वंदे मातरम् (Vande Mataram) महज एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का वह मंत्र था जिसने अंग्रेजों की नींव हिला दी थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस 'वंदे मातरम्' को हम आज गाते हैं, वह असल में पूरा गीत नहीं है?

​इतिहास के पन्नों में यह दर्ज है कि 1937 में कांग्रेस ने इस गीत के कुछ हिस्सों को छोड़कर केवल शुरुआती दो अंतरों (Verses) को ही राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया था। आखिर ऐसा क्यों हुआ? इसे 'वंदे मातरम् के टुकड़े' क्यों कहा जाता है? आइये जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।

1. वंदे मातरम् की उत्पत्ति (Origin of Vande Mataram)

इस महान गीत की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में की थी और बाद में इसे 1882 में उनके उपन्यास 'आनंदमठ' (Anandmath) में शामिल किया गया।

​1905 के 'बंग-भंग' आंदोलन के दौरान यह गीत आजादी के दीवानों का सबसे बड़ा हथियार बन गया था। उस समय पूरा गीत गाया जाता था।

2. 1937 का वह फैसला: जब गीत पर चली कैंची

आजादी से पहले, 1937 में जब प्रांतीय सरकारें बनीं, तो यह सवाल उठा कि 'राष्ट्रीय गान' कौन सा होगा। उस समय 'वंदे मातरम्' सबसे आगे था। लेकिन, मुस्लिम लीग और कुछ अन्य मुस्लिम नेताओं ने इस गीत के बाद के हिस्सों पर आपत्ति जताई।

​उनका कहना था कि गीत के बाद के अंतरों में 'मां दुर्गा' और 'देवी काली' की स्तुति की गई है, जो मूर्ति पूजा (Idol Worship) को दर्शाती है। इस्लाम में मूर्ति पूजा वर्जित है, इसलिए वे इसे गाने के खिलाफ थे।

​इस विवाद को सुलझाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) ने एक समिति बनाई, जिसमें निम्नलिखित दिग्गज शामिल थे:

  • ​पंडित जवाहरलाल नेहरू
  • ​मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
  • ​सुभाष चंद्र बोस
  • ​आचार्य नरेंद्र देव

3. रबिन्द्रनाथ टैगोर की सलाह और कांग्रेस का निर्णय

इस समिति ने गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) से सलाह ली। टैगोर ने माना कि गीत के शुरुआती दो अंतरे विशुद्ध रूप से मातृभूमि की सुंदरता और वंदना का वर्णन करते हैं, जिसमें किसी भी धर्म को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन बाद के अंतरों में हिंदू देवियों का जिक्र है।

फैसला:

सांप्रदायिक सौहार्द (Communal Harmony) बनाए रखने के तर्क पर, कांग्रेस कार्य समिति ने 1937 में यह प्रस्ताव पारित किया कि:

"वंदे मातरम् के केवल पहले दो अंतरों को ही गाया जाएगा। बाकी के हिस्से को छोड़ दिया जाएगा ताकि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।"


​यहीं से 'वंदे मातरम्' दो हिस्सों में बंट गया। कई इतिहासकारों और राष्ट्रवादियों का मानना है कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते एक संपूर्ण गीत को खंडित कर दिया गया।

4. आज की स्थिति (Current Status)

24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने 'जन गण मन' को राष्ट्रगान (National Anthem) और 'वंदे मातरम्' (पहले दो अंतरे) को राष्ट्रीय गीत (National Song) का दर्जा दिया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि इसका मान 'जन गण मन' के बराबर ही होगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

​कांग्रेस द्वारा 1937 में लिए गए उस फैसले ने गीत को छोटा जरूर कर दिया, लेकिन 'वंदे मातरम्' की आत्मा आज भी हर भारतीय के दिल में है। चाहे वह पूरा हो या आधा, इसके शुरुआती शब्द ही रोंगटे खड़े करने के लिए काफी हैं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

  • Q: वंदे मातरम् किसने लिखा था?
    • ​A: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने।
  • Q: वंदे मातरम् किस उपन्यास से लिया गया है?
    • ​A: आनंदमठ (Anandmath)।
  • Q: कांग्रेस ने वंदे मातरम् का विरोध क्यों किया या उसे छोटा क्यों किया?
    • ​A: 1937 में मुस्लिम लीग की आपत्तियों और धार्मिक कारणों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने इसके बाद के अंतरों को हटा दिया था।

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